दुनिया के सबसे रहस्मय चीज़ें | World's most mysterious things



क्या आपको पता है Train या Airplane की Seats ज़्यादातर नीली ही क्यों होती है। जबकि दुनिया में और भी Colors हैं। लेकिन नीले रंग को ही Professionally क्यों Use किया जाता है। तो आपको बता दूँ के हर एक Color का एक Meaning होता है जो हमारे Brain के साथ अस्सीसिएट करता है। तो ये जो Blue Color होता है वो हमें Security और Reliability को फील कराता है। और एक सर्वे में पाया गया है के Blue Color Light को अगर आप स्ट्रीट लाइट पे लगाते हैं तो Crime Rate बहोत ही कम हो जाता है। और ये एक ऐसा Color है जो Mysterious है, जिसे देखने के बाद इंसान अपने सारे स्ट्रेस और फ्रस्ट्रेशन को भूल जाता है। 


दुनियाभर में ऐसे कई सीरियल किलर मशहूर हुए, जिन्होंने न जाने कई लोगों के कत्ल कर दिए। इनमें से कुछ तो पकड़े गए, तो कई अब भी पुलिस की पहुंच से दूर हैं। यह कहानी है बिहार के बेगूसराय की, जहां आठ साल के एक बच्चे को दुनिया का सबसे छोटा सीरियल किलर या भारत का सबसे छोटा सीरियल किलर कहा जाता है। वहीं कुछ लोग इस बच्चे को 'मिनी सीरियल किलर' भी कहते हैं। उसने कुल तीन कत्ल किए थे और तीनों की ही उम्र एक साल से कम थी। दुनिया के इस सबसे छोटे सीरियल किलर का नाम है मुकेश  उसका जन्म 1998 में बेगूसराय के एक गांव में हुआ था। उसके पिता मजदूरी का काम करते थे। घटना की शुरुआत 2007 से होती है, जब उसने पहला कत्ल अपने ही एक चचेरे भाई का किया था। इसके कुछ ही दिन बाद उसने दूसरा कत्ल अपनी सगी बहन का किया, जिसकी उम्र महज छह महीने थी। इन दोनों की हत्या उसने खपरैल से पीट-पीट कर की थी। सबसे हैरानी की बात ये है के मुकेश जिन दोनों बच्चों का क़त्ल किया था उसकी खबर उसके मां बाप को थी। लेकिन उन्होंने मामले को नजरअंदाज कर दिया इसका नतीजा ये हुआ कि दो या तीन महीने बाद ही उसने एक और बच्ची का कत्ल किया, जिसकी उम्र भी एक साल से कम ही थी, लेकिन यह उसका आखिरी कत्ल बन गया, क्योंकि उसके बाद पुलिस ने उसे पकड़ लिया। जब पुलिस ने उससे पूछ ताछ की तो पता चला के उसे ऐसा करने में मज़ा आता था। और जब डॉक्टरों ने उसका चेकअप किया तो पता चला के उसे कंडक्ट डिसऑर्डर की बीमारी थी। 


इतिहास के पन्नों में ऐसे कई घटनाओं का जिक्र मिलता है, जिसपर विश्वास करना बहोत ही मुश्किल होता है। कुछ इसी तरह की एक घटना काफी समय पहले अमेरिका में घटी थी, जिसका रहस्य आज तक नहीं सुलझ पाया। इस घटना को 'फिलाडेल्फिया एक्सपेरिमेंट' के नाम से जाना जाता है। अमेरिकी सेना द्वारा ये खास तरह का Experiment था, जो एक बड़े समुद्री जहाज को गायब करने के लिए किया गया था, लेकिन इस Experiment का result काफी हैरान करने वाला था। दरअसल ये  Experiment 2nd World War के दौरान किया गया था। इस दौरान सरे देश अपनी समुद्री जहाजों को दुश्मन के लड़ाकू विमानों से छिपाए जाने के तरीके खोज रहे थे। इसी बीच 28 अक्तूबर 1943 को अमेरिकी सेना द्वारा एक Experiment  किया गया और वो Experiment  था 1200 टन यूएसएस एल्ड्रिज को गायब करने का ताकि दुश्मन को चकमा दिया जा सके। माना जाता है कि जहाज को गायब करने के लिए उसमें कई जनरेटर लगाए गए थे, जिससे पैदा होने वाली बिजली से मैग्नेटिक फील्ड में बदलाव करना था। इस बदलाव से होता ये कि जहाज रडार से गायब हो जाता, और आम तौर पे ये किसी को नहीं दिखता। 

और जब अमेरिकी सेना ने उसे पानी में उतरा तो वो एक हरे रंग की गैस छोड़ने लगी जिससे वो राडार से गायब हो गया और देखते ही देखते वो पूरी तरह से गायब हो गया। और ये देख अमेरिकी सेना काफी खुश हुई लेकिन ये ख़ुशी ज़्यादा डेरा तन टिकने वाली नहीं थी। गायब हुए जहाज को जब अमेरिकी सेना ने वापस लाने की कोशिश की, तो वह वापस नहीं आ सका। और सारे शिप कंट्रोलर हैरान हो गए क्योंकि उस जहाज में बहोत सारे सैनिक भी मौजूद थे। लेकिन जहाज़ को वापस नहीं लाया जा सका। और कुछ दिन बाद उन्हें 300 किलोमीटर की दुरी पे वो जहाज़ मिली और जहाज़ में बैठे सभी लोग मरे गए थे। लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का कहना है के जहाज ने समय यात्रा की थी, लेकिन समय के भंवर में फंसने की वजह से उसमें मौजूद लोगों की हालत खराब हो गई। 


आज की डेट में सारि फसलों को टेरफोर्मिंग कर के या फिर उसे Technically उगाया जाता है। बात अगर खेती की की जाये तो हमारे यहां खेती के लिए अलग-अलग तरह के टेक्निक का इस्तेमाल करके खेती करते हैं टेक उसे आसान बनाया जा सके। वैसे अगर आप सोच रहे होंगे कि खेती तो जमीन पर ही संभव है, तो शायद आपको पता नहीं है कि एक देश ऐसा है, जहां दीवारों पर भी खेती की जाती है। धान-गेहूं की खेती के साथ-साथ इस देश में सब्जियां भी दीवारों पर ही उगाई जाती हैं। वैसे यह तकनीक धीरे-धीरे दुनियाभर में मशहूर हो रही है। दरअसल, खेती की इस तकनीक को वर्टिकल फार्मिंग यानी 'दीवार पर खेती करना' कहा जाता है। इस्रायल में इस टेक्निक से खेती की जाती है।  

आपको पता होगा के वहां ज़्यादा ज़मीं नहीं है इसीलिए लोगों ने वर्टीकल फार्मिंग को चुना। इन सारि फसलों को छोटे-छोटे गमले में लगाया जाता है ताके वो निचे न गिरें। और जब पौधे बड़े हो जाते हैं तो उन सर गमलों को हटा दिया जाता है। और इसमें सबसे चुकाने वाली बात ये है के बिना कोई भी अनाज बर्बाद हुए आसानी से उसे निकल लेते हैं। 


इस दुनिया में साँपों की सैकड़ों प्रजातियां हैं। कुछ काले रंग के होते हैं तो कुछ सफ़ेद रंग के और कुछ अलग-अलग रंग के होते हैं। लेकिन क्या कभी आपने कोई ऐसा सांप देखा है, जिसकी स्किन पूरी Smiley Face से बनी हो। दरअसल, अमेरिका में रहने वाले एक शख्स ने अजगर सांप की ऐसी ब्रीडिंग कराई, कि उसके अंडे से निकले सांप की Skin पर पीले और नारंगी रंग के स्माइली इमोजी बने हुए थे। उस अजगर की Skin पर तीन इमोजी बने हुए थे। सबसे खास बात ये है कि वो शख्स चाहता कुछ और था, लेकिन हो कुछ और गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस अनोखे स्माइली फेस इमोजी वाले अजगर को जिस शख्स ने पैदा कराया है, वह जॉर्जिया का रहने वाला है और उसका नाम जस्टिन कोबिल्का है। जस्टिन स्नेक ब्रीडर हैं और पिछले कई सालों से सांपों की ब्रीडिंग करा रहे हैं।  जस्टिन ने बताया कि वह बॉल पाइथन की ब्रीडिंग करा रहे थे। वह चाहते थे कि अजगर सुनहरे पीले यानी गोल्डन येलो और सफेद रंग का पैदा हो, लेकिन जब अजगर का जन्म हुआ तो उसकी Skin पर Natural तरह से तीन मुस्कुराते हुए इमोजी बने हुए थे। ऐसे 'इमोजी स्नेक' शायद ही आपने पहले कभी कहीं देखे होंगे।

इस इमोजी वाले अजगर को छह हजार डॉलर यानी करीब 4.37 लाख रुपये में बेच दिया। 


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