क़ुतुब मीनार का रहस्य (Qutub Minar Mystery In Hindi)

क़ुतुब मीनार का रहस्य (Qutub Minar Mystery In Hindi)

हम लोग छुट्टियों में अक्सर कहीं न कहीं ज़रूर घूमने जाते हैं, फिर वो फ़ैमिली के साथ हो या फिर फ्रेंड्स के साथ, और अच्छी से अच्छी ईमारतों को दखते हैं, और उनके फोटोज़ और उनके साथ सेल्फीज़ ले के फेसबुक या इंस्टाग्राम पे अपलोड कर देते हैं, पर क्या आपने कभी ध्यान दिया के इनके पीछे बहोत सारे राज़ छिपे हैं। 
आज हम बात करने वाले हैं कुतुब मीनार के बारे में, क्यों नहीं हमें उस मीनार पे चढ़ने दिया जाता है, और क्यों बंद रखा गया है उसे। 
कुतुब मीनार को निर्माण का एक नायाब नमूना कहा जाता है। इसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1192 में करवाया था। आज भी इसे कुशल निर्माण का एक जीता जागता नमूना कहा जाता है। 1505 ईस्वी में एक भयंकर भूकंप से यह लगभग तबाह हो गया था। लेकिन इसकी मरम्मत कराई गई, जिससे यह दोबारा ठीक हो गया। और फिर 1803 ईस्वी में भी एक और भयंकर भूकंप ने इसको बहुत ज़्यादा नुकसान पहुंचाया और इसकी दोबारा से मरम्मत कराइ गई। अगर आज आप इसे देखने के लिए जाते हैं तो आपको इसके अंदर और ऊपर नहीं जाने दिया जाता है,

दरअसल कुतुब मीनार लगभग 900 साल पुरानी इमारत है। और इसे देखने आये कई लोगों ने यह दावा किया कि इसके आसपास किसी के होने का एहसास होता है। रात के समय Abnormal चीज़ें और अनजान शक्तियों के होने का दावा किया जाता है। साल 1984 के पहले कुतुब मीनार के अंदर और अंदर की सीढ़ियों से ऊपर जाने दिया जाता था। लेकिन 4 दिसंबर 1984 को कुछ ऐसा हुआ जिसके कारण इसके दरवाजों को हमेशा के लिए बंद करना पड़ा, दरअसल 4 दिसंबर 1984 के दिन करीब 400 लोग इसके अंदर थे और सीढ़ियों के ज़रिये इसके ऊपर चढ़ रहे थे। इसमें से ज्यादातर स्कूल के बच्चे थे क्यूंकि वो स्कूल की तरफ से यहाँ घूमने आये थे। दरसअल इसके अंदर की सीढ़ियां इतनी छोटी हैं, के एक समय पर कोई एक ही ऊपर या नीचे जा सकता है। 

इसकी इतनी ऊंचाई होने के कारण इस में कुल 379 सीढ़ियां भी हैं। इसके अंदर रोशनी का भी कोई बाहरी सोर्स नहीं था, सिर्फ बिजली के बल्ब लगाए गए थे। लेकिन अचानक ही बिजली बंद हो गई। और पूरे अंधेरे में सभी लोग डर गए और नीचे की तरफ भागने लगे, सीढ़ियां छोटी होने के कारण जल्दी से इस से उतरा भी नहीं जा सकता था। इस भगदड़ में 45 लोगों की मौत हो गई, जिस में ज़्यादातर बच्चे थे तभी से कुतुब मीनार के अंदर जाना बंद करवा दिया गया। इसे जब भी खोलने पर विचार किया जाता था तो कोई न कोई घटना घट जाती, इसलिए इसे सरकारी तौर पर ही बंद करा दिया गया। 
लोगों का कहना हैं के आज भी यहां रात के समय पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर के द्वारा की गई रिसर्च में यही पाया गया कि कुछ अजीब सा अहसास इस मीनार के आस-पास होता है। उनका तो यह भी कहना है की उन मर हुए लोगों की आत्मा आज भी इस जगह के आसपास एक हल्का सा एहसास देती है। कुछ लोग जो इस हादसे से पहले क़ुतुब मीनार के अंदर जा चुके हैं, उनका भी कहना है कि इस मीनार के अंदर इस हादसे से पहले भी कुछ ऐसा एहसास हुआ करता था, और आप अकेले भी अंदर जाते हैं तो ऐसा लगता कि कोई और भी आपके साथ चल रहा है। वहां के प्रशासन का आज भी कहना है के इसके अंदर किसी तरह की सेफ्टी नहीं है, इसलिए इसे बंद रखना ही मुनासिब समझा।

तो अंत में हमारे मन में भी यही सवाल उठता है के आखिरकार कुतुब मीनार के अंदर वह एहसास क्या है जो हमेशा आपके साथ चलता है? और क्या सच में इसी कारण कुतुबमीनार के दरवाजों को बंद किया गया है। इन सब चीज़ों को देख कर तो हमें भी यही लगता है के कुछ सवालों का जवाब ना ही मिले उसी में सबकी भलाई है। 

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