क्या आपको पता है, डर और फोबिया दोनों अलग हैं। बहोत लोगों को ये same लगता है। और Phobia को सिर्फ एक डर के रूप मे समझते है लेकिन phobia डर से कई गुना ज़्यादा शक्तिशाली होता है। एक डर इंसान का पीछा छोड़ सकता है लेकिन अगर एक बार हमारा डर फोबिया मे बदल जाए तो वो हमारा पीछा सोते समय भी नहीं छोड़ता। phobia शब्द जो है, वो Greek word ‘phobos’ से बना है। ये एक mental or psychological disorder है जिसमे इंसान को किसी खास चीज, या कठिन हालात, या किसी जगह से बहुत ज्यादा डर लगता है। यह डर कभी कभी इतना खतरनाक हो जाता है की इंसान अपना control खो सकता है और कहीं वप मर न जाये इसके डर से बेहोश हो सकता है। जबकि वो situation दूसरों के लिए उतनी ज्यादा खतरनाक नहीं होती। फोबिया के दौरान दिल का जोर-जोर से धड़कना, तनाव महसूस करना, सिर में दर्द होना, पेट खराब होना, बेहोशी लगना, घबराहट होना, अजीब-अजीब सी आवाजें सुनाई देना, हालात से दूर भागने की कोशश करना ये सब एक Phobia के ही लक्षण है।
वैज्ञानिकों द्वारा अभी तक 400 से ज़्यादा फोबिया को खोजा जा चूका है।
जैसे- अँधेरे से डरना, ऊंचाई से डरना, जानवरों से डरना, तन्हाई से डरना ऐसे बहोत सारे फोबियाज़ हैं। जिन्हें अलग-अलग तरीके से देखा जा सकता है।
जैसे- किसी साधु संत या फ़क़ीर को देख कर जो हमें डर लगता है, उसे "पापा फोबिया" कहते हैं।
अंधेरे से डर को Nyctophobia कहते है। इसमें इंसान किसी अंधेरी जगह पर जाने से डरता है। यह डर इस तरह से मन मे बैठ जाता है की अगर वो इंसान सो रहा है और अचानक अंधेरा हो जाए तो उसकी नींद उसी समय खुल जाती है।
ऊँचाई से डर वाले फोबिया को Acrophobia(एक्रोफोबिया) कहते है। इसमे इंसान को उचाई से बहुत ज्यादा डर लगता है। ऊँची जगह पर पहुंचते ही ऐसे इंसान को panic attack आ जाता है। या फिर उसे उल्टियाँ शुरू हो जाती है।
जानवरों से डर वाले फोबिया को Cyanophobia कहते है। वैसे तो बहुत लोग कुतों से डरते है और यह आम बात है लेकिन Cyanophobia वाले इंसान घर मे बैठ कर भी कुतों के गली मे भोकने से डर जाते है।
इंजेक्शन से डर को Trypanophobia(ट्राइपानोफोबिया) कहते है। इसमे इंसान injection से इतना डरता है की उसके डर से docter के पास नहीं जाता।
छिपकली, और मकड़ी जैसे छोटे-छोटे जानवरों के डर को – Arachnophobia कहते है। यह डर उनपर इस तरह हावी हो जाता है कि वे TV या photo तक में मकड़ को देखकर बहुत घबरा जाते हैं।
Germs या Dust का डर – इसे माइसोफोबिया कहते है। इसमे इंसान को थोड़ी सी धूल होने पर घबराहट, सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, धड़कन बढ़ना, और कंपकंपी जैसी दिक्कते होती हैं।
भीड़ का डर – इसे agoraphobia कहा जाता है। इसमे इंसान को थोड़े से लोगो के सामने जाने, या खाना खाने, या फिर बात करने मे भी बहुत ज्यादा डर लगता है।
क्या आपको पता है अलेक्ज़ेंडर दी ग्रेट, और नेपोलियन और हिटलर को इन सबको सिर्फ बिल्लियों से डर लगता था। जिसे "Cyanophobia" भी कहते हैं।
क्या आपके साथ ऐसा कभी हुआ है के आपने एक खूबसूरत सी लड़की देखि जो सबसे अलग हो। और उसे अपना बनाना चाहते हैं या प्रपोज़ करना चाहते हैं। और आपके होंठों से आवाज नहीं निकलती और न ही आप उससे कुछ कह पाते हैं। ऐसे डर को "Caligynephobia" कहते हैं।
वैसे phobia के इलाज के लिए कोई एक treatment नहीं होता। जिस तरह हर इंसान का फोबिया और उसकी (situation) अलग-अलग होती है, इसी तरह फोबिया का इलाज भी हर मरीज और उसके डर के मुताबिक ही किया जाता है।
ज़्यादातर लोग अपनी मनोवैज्ञानिक समस्याओ पर पर्दा डालते रहते हैं। उन्हें लगता है अगर हम अपनी प्रॉब्लम किसी को बताये और अगर वो मेरा मज़ाक बना दे तो कैसा फील होगा। ये रवैया दिक्कत को कम करने की बजाय ओर बड़ा देता है। अगर आपको या आपके आस पास किसी को भी किसी भी तरह का फोभिया है तो किसी psychologist या psychiatrist के पास जरूर जाए। इसका इलाज psychological therapies से बहुत आसानी से किया जा सकता है।
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