Most Important IAS,PCS and IPS Question With Answer In Hindi || New Question And Answer In Hindi

दोस्तों आज हम जानेंगे साइनाइड और पोलोनियम के बारे में 
पोलोनियम
साइनाइड से भी ज़हरीला पोलोनियम माना जाता है, पोलोनियम एक रासायनिक तत्व है। इसकी खोज सन् 1897 में मेरी क्युरी और प्येर क्युरी ने की थी। यह एक रेडियोएक्टिव तत्व है जिसके मुख्य समस्थानिक का द्रव्यमान 210 हैं, आपको बता दें के  सुनंदा पुष्कर की मौत ज़हर से हुई इस बात को हम तो जानते ही हैं , एम्स के जांचदल ने खुलासा किया था कि सुनंदा की मौत का सबब पोलोनियम था, ये एक ऐसा रसायनिक तत्व है जिसे रसायन विज्ञान की दुनिया में साइनाइड से भी ज़्यादा ज़हरीला माना जाता है, सुनंदा पुष्कर की मौत ज़हर से हुई ये  बात तो सबको पता है पर किस कारण हुई ये पता लगाने में बहोत समय लग गए, सुनंदा का जन्म एक कश्मीरी पंडित परिवार में 27 जून 1964 को हुआ था, उनके पिता एक आर्मी अफसर थे उनके दो भाई थे, 1990 में उनका परिवार बोमई से जम्मू आकर बस गया था क्योंकि एक आतंकी हमले के दौरान उनका घर जला दिया गया था, सुनंदा ने 1988 में श्रीनगर के राजकीय कॉलेज से स्नातक डिग्री हासिल की, कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही सुनंदा ने अपने साथी छात्र संजय रैना से विवाह कर लिया, हालांकि कुछ दिनों बाद ही उनका तलाक हो गया, 1989 में सुनंदा दुबई चली गई, वहां उन्होंने बिज़नेस की दुनिया में कदम रखा, दो साल बाद उन्होंने दुबई में ही सुजीत मैनन से विवाह रचा लिया, नवंबर 1992 में उन्होंने एक 
पुत्र को जन्म दिया, मार्च 1997 में सुजीत की एक हादसे में मौत हो गई, आरोप है कि पुणे की IPL टीम में सुनंदा को शशि थरूर के कहने पर ही हिस्सेदारी मिली हालांकि यह गठजोड़ मीडिया में आ गया और आखिर में उन्हें हिस्सेदारी वापस लेनी पड़ी, सुनंदा की कांग्रेस नेता शशि थरूर से मुलाकात 2009 में एक पार्टी में हुई थी, IPL विवाद के बाद उन्होंने 2010 में शशि थरूर से मल्याली  परम्परा के अनुसार विवाह कर लिया, एक पाकिस्तानी महिला पत्रकार मेहर तरार से शशि थरूर के सम्बंधों को लेकर सुनंदा और उनके पति के बीच अनबन शुरू हुई, साल 2014 में 17 जनवरी को सुनंदा पुष्कर दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में मृत पाई गई, उनकी मौत का रहस्य पूरे नौ माह बाद खुला, हालाकि अक्टुबर में एम्स के चिकित्सकों के एक जांचदल ने इस बात का खुलासा कर दिया था कि सुनंदा की मौत ज़हर से हुई थी, पर कुछ समय बाद एम्स के जांच दल ने खुलासा किया कि सुनंदा की मौत का सबब पोलोनियम था, ये एक ऐसा रसायनिक तत्व है जिसे रसायन विज्ञान की दुनिया में साइनाइड से भी ज़्यादा ज़हरीला माना जाता है, पोलोनियम210 कहलाने वाले इस ज़हर की जांच भारत में मुमकिन नहीं है, मृत शरीर में इसकी मौजूदगी का पता लगाना भी आसान नहीं होता, दरअसल ये एक रेडियोएक्टिव तत्व है, जिससे निकलने वाला रेडिएशन इन्सानी शरीर के अंदरूनी अंगों के साथ-साथ डीएनए और इम्यून सिस्टम को भी तेजी से तबाह कर सकती है, अगर इसे दुनिया का सबसे ख़तरनाक ज़हर कहा जाए, तो ग़लत नही होगा, पोलोनियम-210 की खोज दुनिया को रेडियम देने वाली वैज्ञानिक मैरी क्यूरी ने 1898 में की थी, मैरी क्यूरी विख्यात भौतिकविद और रसायनशास्त्री थीं, विज्ञान क्षेत्र में भौतिकी और रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली वह पहली वैज्ञानिक थी, पोलोनियम को शुरुआत में रेडियम F नाम दिया गया था, बाद में इसे पोलोनियम नाम मिला, इसे P O के चिन्ह से दर्शाया जाता है और इसकी परमाणु संख्या 34 होती है, जानकारों के मुताबिक पोलोनियम 210 का इस्तेमाल इंडस्ट्रियल क्षेत्र में होता है, कुछ वैज्ञानिकों का दावा है कि पोलोनियम-210 अगर नमक के छोटे कण जितना भी इंसान के शरीर में चला जाए तो यह कुछ ही पल में उसे मौत की नींद सुला सकता है, यदि ये खाने के साथ मिलकर इंसानी शरीर में जाए तो इसका स्वाद तक पता नहीं लगाया जा सकता, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान ने नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम में पोलोनियम 210 का इस्तेमाल ट्रिगर के तौर भी किया गया था, ऐसा नही है कि इस ज़हर का नाम पहली बार सुर्खियों में आया हो, विज्ञान और चिकित्सा जगत के जानकार दावा करते हैं कि फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात की मौत का सबब भी पोलोनियम-210 ही था, जब 2004 में संदिग्ध हालात में उनकी मौत हुई थी तो उनके शरीर में इस जहर का स्तर सामान्य से 18 गुना ज्यादा पाया गया था, इसी तरह रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी के एक अधिकारी अलेक्जेंडर लिटनिवेनको की जान भी इसी जहर ने ली गई थी, जबकि पोलोनियम जहर की पहली शिकार थी मैरी क्यूरी की बेटी ईरीन ज्यूलियट क्यूरी जो 1950 के दशक में इसका एक छोटा सा कण खाने के तुरंत बाद मौत की आगोश में समा गयी थीं.

सायनाइड 
सायनाइड जासूसी उपन्यास और मर्डर-मिस्ट्री कहानियों के लेखक और खुद को बहुत चालाक समझनेवाले अपराधियों की पहली पसंद है सायनाइड, कहा जाता है कि यह सबसे तेज ज़हर है और इसे चखनेवाला व्यक्ति इसका स्वाद बताने से पहले ही मर जाता है, सायनाइ शब्द उन रासायनिक यौगिकों के लिए उपयोग में लाया जाता है जिनमें कार्बन-नाइट्रोजन का बंध (CN) होता है, यह रासायनिक बंध अनेक यौगिकों में होता है लेकिन वे सभी प्राणघातक रूप से जहरीले नहीं होते, जैसे सोडियम सायनाइड (NaCN), पोटेशियम सायनाइड (KCN), हाइड्रोजन सायनाइड (HCN), और सायनोजन क्लोराइड (CNCl) ये प्राणघातक रसायन हैं,  नाइट्राइल (nitriles) नामक हजारों ऐसे यौगिक भी होते हैं जिनमें सायनाइड समूह के अणु होते हैं लेकिन वे उतने जहरीले नहीं होते, बहुत से नाइट्राइलों का उपयोग दवाइयां बनाने में भी किया जाता है, नाइट्राइल सायनाइड खतरनाक नहीं होते क्योंकि वे कार्बन और नाइट्रोजन आयन रिलीज़ नहीं करते यह आयन हमारे शरीर के मेटाबोलिज़्म के लिए अत्यंत घातक विष का काम करता है, एक साइंटिस्ट ने सायनाइड का टेस्ट पूरी दुनिया को बताने के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने की सोची पेन कॉपी लेकर बैठ गया, एक हाथ में पेन दूसरे में सायनाइड, एक हाथ से सायनाइड मुंह में डाला दूसरे से लिखना शुरू किया बस अंग्रेजीं का अक्षर s ही लिख पाया और मर गया, अब अंग्रेजी के एस अक्षर से कितने ही टेस्ट आते हैं,
Sweet यानि मीठा
Sour यानि खट्टा
Salt यानि नमकीन
तो आज तक पता नहीं चल पाया कि सायनाइड का टेस्ट कैसा है, बस यही पता चल पाया कि सायनाइड का टेस्ट अंग्रेजी के एस s अक्षर से शुरू होता है, एक रिपोर्ट के अनुसार 2013 में पूरी दुनिया में केवल आठ लोगों का मर्डर सायनायड के थ्रू हुआ था, लेकिन फिर भी उस वर्ष कुल तीन सौ लोग सायनायड से मर गए थे. क्यूं? 
क्यूंकि हमारी रोजमर्रा की इस्तेमाल की जाने वाली चीज़ों में, खाने पीने वाली चीज़ों में भी सायनायड होता है और हम एक्सीडेंटली उसका सेवन कर लेते हैं या सांसों के माध्यम से उसे इन्हेल कर लेते हैं. सेब के बीज में सायनायड होता है, श्रीदेवी की हालिया रिलीज हुई फिल्म मॉम में एक सीन है जहां श्रीदेवी अपनी बेटी का रेप करने वाले अपराधियों से बदला ले रही है। उन अपराधियों में से एक को वो सेब के बीजों से मार डालती है। आपने बिल्कुल सही पढ़ा, सेब के बीजों से मार डालती है। सेब को दुनिया के सबसे सेहतमंद फलों में से एक माना जाता है, लेकिन यही पौष्टिक फल आपकी सेहत के लिए घातक भी साबित हो सकता है। सेब तो नहीं लेकिन सेब के बीज आपकी मौत का कारण बन सकते हैं। सेब के बीज में एमिगडलिन नाम का तत्व पाया जाता है और जब यह तत्व इंसान के पाचन संबंधी एन्जाइम के संपर्क में आता है तो सायनाइड रिलीज करने लगता है। प्राकृतिक तौर पर बीजों की कोटिंग काफी हार्ड होती है जिसे तोड़ पाना आसान नहीं है। एमिगडलिन में सायनाइड और चीनी होता है और जब इसे हमारा शरीर निगल लेता है तो वह हाईड्रोजन सायनाइड में तब्दील हो जाता है। अगर इस जहर से कोई शख्स बच जाता है तब भी उसके हृदय और मस्तिष्क को काफी नुकसान पहुंचता है। सायनाइड की थोड़ी सी मात्रा का सेवन करने पर भी चक्कर आना, सिरदर्द, उल्टी, पेट में दर्द और कमजोरी जैसी समस्याएं देखने को मिलती है। सेब के अलावा ऐप्रिकॉट यानी खुबानी, चेरी, आड़ू, आलूबुखारा जैसे फलों के बीज में भी सायनाइड की मात्रा होती है। 200 सेबों के बीज यानि एक कप बीज इंसान के शरीर में जहर पैदा करने के लिए काफी है। सेब के करीब 200 बीज का पाउडर तकरीबन 1 कप भर जितना होता है, वह इंसान के शरीर के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। एक ग्राम सेब के बीज में 0.06-0.24 मिली ग्राम साइनाइड होता है। अगर आपने बीज का सेवन कर लिया है और आपको सिरदर्द, उल्टी, पेट में ऐंठन जैसी समस्या हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। यदि किसी ने गलती से या जानबूझ कर 0.5 से 3.5 मिलीग्राम से अधिक मात्रा में बीज खा लिया, तो उसकी मौत भी हो सकती है। इसलिए जब भी इन फलों का सेवन करें, तो बीजों को सावधानी के साथ निकाल दें। तो दोस्तों अगर आप भी सेब के बीज को कहते हैं तो शतर्क हों जाएँ,
दोस्तों वीडियो पसंद आई हो तो प्लीज like,Share और subscribe करना न भूलें धन्यवाद्  

Post a Comment

0 Comments