आकाश में शानदार चमकते हुए पूछ वाले तारे, जिन्हें comet या धूमकेतु भी कहते हैं, जब आकाश में एक धूमकेतु दिखाई देता है, तो यह तुरंत हर किसी के ध्यान को आकर्षित करता है। कोई सोचता है कि उस पल में स्टार गिर गया, और अब एक इच्छा बनाने का समय है, ऐसे में अंधविश्वास वाले लोग मानते हैं कि, धूमकेतु का दृष्टिकोण भविष्य में आपदाओं - बीमारियों और अन्य दुर्भाग्यों को दर्शाता है, जो मानवता को धमकी देते हैं, धूमकेतु बड़े अजीब और शानदार होते हैं, जहाँ सभी तारे हमें टिमटिमाते हुए दिखाई देते हैं, धूमकेतु बड़े और चमकीले होते हैं, इनके पीछे एक लंबी पूँछ दिखाई देती है, यह बहुत ही कम समय के लिए दिखाई देते हैं, इसके बाद गायब हो जाते हैं, इनका परिक्रमा पथ अंडाकार होता है, जब ये सूर्य के नजदीक आते हैं तभी यह हमें दिखाई देते हैं, और सूर्य से दूर जाने पर यह ठंडे हो जाते हैं, तथा इनकी चमक और पूँछ दिखाई देना बंद हो जाती है, और ये धूमकेतु अदृश्य हो जाते हैं, तो आइए जानते हैं वे प्रमुख धूमकेतु जो वर्तमान काल में हमें पृथ्वी से कौन- कौन से दिखाई देते हैं,
60 किलोमीटर प्रति सेकेंड यानि 216000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से टकराकर ध्वस्त हो गऐ, इनसे बृहस्पति के वायुमंडल में गहरी खरोंचें बन गईं जो महीनो तक दिखाई देती रहीं, पृथ्वी से यह बृहस्पति के महान लाल धब्बे, The Great Red Spot से भी स्पष्ट दिखाई देती थी, इसका औपचारिक नाम D/1993 F2 हैं.
नंबर एक, Halley Comet,हेली धूमकेतु
सभी धूमकेतु में सबसे प्रसिद्ध हैली धूमकेतु माना जाता है, इसका नाम प्रसिद्घ खगोलशास्त्री एडमंड हैली के नाम पर रखा गया, कहा जाता है 1687 में सर आइजैक न्यूटन ने अपनी ' प्रिन्सिपिया ' प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने गुरुत्व और गति के अपने नियमों को रेखांकित किया। धूमकेतु पर उनका काम निश्चित रूप से अधूरा था हालांकि उन्हें शंका थी कि सन् 1680 और 1681 में पहले दिखने वाला और सूर्य के पीछे से गुजर जाने के बाद दिखाई देने वाला धुमकेतू एक ही था। उनकी यह धारणा बाद में सही पायी गई थी। वें अपने मॉडल में धूमकेतुओं का सामंजस्य करने में पूरी तरह से असमर्थ थे। आखिरकार न्यूटन के मित्र एडमंड हैली ने सन् 1705 में अपनी 'Synopsis of the Astronomy of Comets, ' में धूमकेतु की कक्षाओं पर बृहस्पति और शनि के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव की गणना के लिए न्यूटन के नए नियमों का उपयोग किया। इस गणना ने उन्हें इस योग्य बनाया कि वें ऐतिहासिक रिकार्डो की जांच कर कक्षीय तत्वों का निर्धारण कर सकें। उन्होंने पाया कि सन् 1682 में दिखाई देने वाला दूसरा धुमकेतू करीब-करीब वही दो धुमकेतू हैं, जो आज से पहले सन् 1531 और सन् 1607 में दिखाई दिए थे, इस प्रकार हैली ने निष्कर्ष निकाला कि तीनों धुमकेतू वास्तव में एक ही हैं, जो प्रत्येक 76 वर्ष में एक बार दिखाई देते हैं. इस अवधि को बाद में संशोधित कर प्रत्येक 75-76 वर्ष कर दिया गया, उन्होंने गणना द्वारा भविष्यवाणी की कि यह सन् 1758 में दिखाई पड़ेगा और ऐसा हुआ भी, ये 1758 के बड़े दिन की रात्रि, क्रिसमस के दिन दिखा, तब से इसका नाम हैली पड़ गया, कहा जाता हैं के हैली ही एक मात्र ऐसा धूमकेतु है जिसे पृथ्वी से नग्गे आँखों से देखा जा सकता हैं, हैली ही एक ऐसा धूमकेतु है जो मानव जीवन में केवल दो बार ही दिखाई देता है, आखरी बार यह सन 1986 में दिखाई दिया था.नंबर दो, Shoemaker Levy-9, शूमेकर लाइव-9
Shoemaker Levy-9 की खोज तीन अमेरिकी खगोलशास्त्रियों ने की थी, कैरोलाइन यूजीन शूमेकर और डेविड लेवी, उन्होने 24 मार्च 1993 को इसकी बृहस्पति की परिक्रमा करते हुए तस्वीरें उतारी, यह किसी ग्रह की परिक्रमा करते हुआ पहला धूमकेतु था, और समझा जाता है कि बृहस्पति ने इसे अपने गुरुत्वाकर्षण से 20-30 साल पहले पकड़ लिया था, बाद में पता चला के इसका टूटा-सा स्वरूप इसके जुलाई 1992 में बृहस्पति के अधिक पास आने से हुए था, उस समय Shoemaker Levy-9 की कक्षा बृहस्पति की रोश सीमा के भीतर आ जाने से बृहस्पति के ज्वारभाटा बल ने उसे तोड़ दिया था, इस कॉमेंट के 21 टुकड़े हो गए थे जोकि जुपिटर ग्रह पर गिर कर नष्ट हो गए, बाद में इसे 2 किलोमीटर तक के डायामीटर वाले टुकड़ों में देखा गया, यह टुकड़े 1994 में 16 जुलाई से 22 जुलाई तक बृहस्पति के दक्षिणी गोलार्ध से60 किलोमीटर प्रति सेकेंड यानि 216000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से टकराकर ध्वस्त हो गऐ, इनसे बृहस्पति के वायुमंडल में गहरी खरोंचें बन गईं जो महीनो तक दिखाई देती रहीं, पृथ्वी से यह बृहस्पति के महान लाल धब्बे, The Great Red Spot से भी स्पष्ट दिखाई देती थी, इसका औपचारिक नाम D/1993 F2 हैं.
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